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Showing posts from 2015

बहुत अच्छे विचार जरुर पढ़े

इन्सान कहता है कि पैसा आये तो हम कुछ करके दिखाये, और पैसा कहता हैं कि आप कुछ करके दिखाओ तो मैं आऊ ! मैंने एक दिन भगवान से पूछा आप मेरी दुआ उसी वक्त क्यों नहीं सुनते हो जब मैं आपसे मांगता हूँ .. भगवान ने मुस्कुरा कर के कहा मैं तो आप के गुनाहों की सजा भी उस वक्त नहीं देता जब आप करते हो ! किस्मत तो पहले ही लिखी जा चुकी है तो कोशिश करने से क्या मिलेगा ? क्या पता किस्मत में लिखा हो कि कोशिश से ही मिलेगा ! ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो यह दो लाइन याद रखना.. जो खोया है उसका ग़म नहीं लेकिन जो पाया है वह किसी से कम नहीं. जो नहीं है वह एक ख्वाब हैं और जो है वह लाजवाब है ! नज़र और नसीब का कुछ ऐसा इत्तफाक हैं कि नज़र को अक्सर वही चीज़ पसंद आती हैं जो नसीब में नहीं होती और नसीब में लिखी चीज़ अक्सर नज़र नहीं आती है ! बोलने से पहले लफ्ज़ आदमी के गुलाम होते हैं लेकिन, बोलने के बाद इंसान अपने लफ़्ज़ों का गुलाम बन जाता हैँ ! ज्यादा बोझ लेकर चलने वाले अक्सर डूब जाते हैं फिर चाहे वह अभिमान का हो या सामान का ! जिन्दगी जख्मों से भरी है वक़्त को मरहम बनाना सीख लो हारना तो है मौत

सेवा

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वे सवेरे-सवेरे टहल कर लौटे तो कुटिया के बाहर एक दीन-हीन व्यक्ति को पड़ा पाया| उसके शरीर से मवाद बह रहा था| वह कुष्ठ रोग से पीड़ित था| उन महानुभाव ने उसे देखा| उस व्यक्ति ने धीमी आवाज में हाथ जोड़ते हुए कहा - "मैं आपके दरवाजे पर शांतिपूर्वक मरने आया हूं|" रोगी की हालत से उनका हृदय द्रवित हो उठा, पर उसे आश्रय कैसे दें! वे अकेले तो थे नहीं और भी बहुत-से भाई-बहन साथ में रहते थे| क्षणभर मन में द्वंद्व रहा| अनंतर वे कुटिया में चले गए, पर अंत अंतर्द्वंद्व ने संघर्ष का रूप धारण कर लिया| अंतर से किसी ने कहा - 'तू अपने को सेवक कहता है! इंसानियत का दावा करता है और उस दुखी बेबस आदमी को ठुकराता है!' बाहर से किसी ने जवाब दिया - "मेरे लिए तो कोई बात नहीं है, पर दूसरे लोग ऐसे रोगी को रखना पसंद नहीं करेंगे|" 'ठीक है, तब तू मानव-जाति की सेवा करने का दंभ छोड़ दे|' अंतर की आवाज में खीज थी| संघर्ष और तीखा हुआ और अंत में निश्चय किया कि व्यक्ति जो सही माने उसका पालन करे दूसरों का राजी या नाराजगी की परवाह न करे| जो आशा लेकर आया है जीवन के अंतिम क्ष

क्रोध है असली चाण्डाल

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एक पण्डितजी महाराज क्रोध न करने पर उपदेश दे रहे थे| कह रहे थे - "क्रोध आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है, उससे आदमी की बुद्धि नष्ट हो जाती है| जिस आदमी में बुद्धि नहीं रहती, वह पशु बन जाता है|" लोग बड़ी श्रद्धा से पण्डितजी का उपदेश सुन रहे थे पण्डितजी ने कहा - "क्रोध चाण्डाल होता है| उससे हमेशा बचकर रहो|" भीड़ में एक ओर एक जमादार बैठा था, जिसे पण्डितजी प्राय: सड़क पर झाड़ू लगाते हुए देखा करते थे| अपना उपदेश समाप्त करके जब पण्डितजी जाने लगे तो जमादार भी हाथ जोड़कर खड़ा हो गया| लोगों की भक्ति-भावना से फूले हुए पण्डित भीड़ के बीच में से आगे आ रहे थे| इतने में पीछे से भीड़ का रेला आया और पण्डितजी गिरते-गिरते बचे! धक्के में वे जमादार से छू गए| फिर क्या था| उनका पारा चढ़ गया| बोले - "दुष्ट! तू यहां कहां से आ मरा? मैं भोजन करने जा रहा था| तूने छूकर मुझे गंदा कर दिया| अब मुझे स्नान करना पड़ेगा|" उन्होंने जमादार को जी भरकर गालियां दीं| असल में उनको बड़े जोर की भूख लगी थी और वे जल्दी-से- जल्दी यजमान के घर पहुंच जाना चाहते थे| पास ही में गंगा नदी थी ला

हम चिल्लाते क्यों हैं गुस्से में?

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एक बार एक संत अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। अचानक उन्होंने सभी शिष्यों से एक सवाल पूछा; "बताओ जब दो लोग एक दूसरे पर गुस्सा करते हैं तो जोर-जोर से चिल्लाते क्यों हैं?" शिष्यों ने कुछ देर सोचा और एक ने उत्तर दिया : "हम अपनी शांति खो चुके होते हैं इसलिए चिल्लाने लगते हैं।" संत ने मुस्कुराते हुए कहा : दोनों लोग एक दूसरे के काफी करीब होते हैं तो फिर धीरे-धीरे भी तो बात कर सकते हैं। आखिर वह चिल्लाते क्यों हैं?" कुछ और शिष्यों ने भी जवाब दिया लेकिन संत संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने खुद उत्तर देना शुरू किया। वह बोले : "जब दो लोग एक दूसरे से नाराज होते हैं तो उनके दिलों में दूरियां बहुत बढ़ जाती हैं। जब दूरियां बढ़ जाएं तो आवाज को पहुंचाने के लिए उसका तेज होना जरूरी है। दूरियां जितनी ज्यादा होंगी उतनी तेज चिल्लाना पड़ेगा। दिलों की यह दूरियां ही दो गुस्साए लोगों को चिल्लाने पर मजबूर कर देती हैं। जब दो लोगों में प्रेम होता है तो वह एक दूसरे से बड़े आराम से और धीरे-धीरे बात करते हैं। प्रेम दिलों को करीब लाता है और करीब तक आवाज पहुंचाने के लिए चिल्

एक अनोखा फैसला

चीन का दार्शनिक लाओत्से अपने विचार और बुद्धि के कारण काफी प्रसिद्ध था। चीन के राजा ने लाओत्से से प्रधान न्यायाधीश बनने का अनुरोध किया और कहा- संपूर्ण विश्व में आप जैसा बुद्धिमान और न्यायप्रिय कोई नहीं है। आप न्यायाधीश बन जाएंगे तो मेरा राज्य आदर्श राज्य बन जाएगा। लाओत्से ने इनकार करते हुए कहा कि वह उस पद के लिए उपयुक्त नहीं है। लेकिन राजा नहीं माना। लाओत्से ने उसे समझाया- मुझे न्यायालय में एक दिन कार्य करते देखकर आपको अपना विचार बदलना पड़ेगा। मेरा मानना है कि संपूर्ण व्यवस्था में ही दोष है। आपके प्रति आदर भाव रखने के कारण ही मैंने आपसे सत्य नहीं कहा है। अब या तो मैं न्यायाधीश बना रहूंगा या आपके राज्य की कानून- व्यवस्था बनी रहेगी। देखें, क्या होता है। पहले ही दिन न्यायालय में एक चोर को लाया गया जिसने राज्य के सबसे धनी व्यक्ति का लगभग आधा धन चुरा लिया था। लाओत्से ने मामले को अच्छे से सुना और अपना निर्णय सुनाया- चोर और धनी व्यक्ति, दोनों को छह-छह महीने की जेल की सजा दी जाए। धनी व्यक्ति ने कहा- आप यह क्या कर रहे हैं? चोरी मेरे घर में हुई है! मेरा धन चुरा लिया गया है

अटल विश्वास

एक बार एक गांव में सूखा पड़ा। सारे तालाब और कुएं सूख गए। तब लोगों ने एक सभा की। उस सभा में सभी ने एक स्वर में तय किया कि गांव के बाहर जो शिवजी का मंदिर है, वहां चलकर भगवान से वर्षा करने के लिए सामूहिक प्रार्थना करें। अगले दिन सुबह होते ही गांव के सभी लोग शिवालय की ओर चल दिए। बच्चे, बूढ़े, स्त्री, पुरुष सभी जोश से भरे हुए जा रहे थे। इन सभी में एक बालक ऐसा था, जो हाथ में छाता लेकर चल रहा था। सभी उसे देखकर उसका उपहास उड़ाने लगे। पंडितजी ने कहा- अरे बावले! यह छाता क्यों उठा लाया? एक ग्रामीण ने विनोद किया। एक बुजुर्ग ने भी उससे पूछा- बेटा अभी न धूप है न बारिश। फिर ये छाता क्यों उठा लाया? बालक ने उत्तर दिया- बाबा अभी तो कुछ नहीं है, किंतु हम सभी भगवान के पास प्रार्थना करने जा रहे हैं कि वर्षा कर देना। भगवान हमारी प्रार्थना सुनकर वर्षा तो करेगा ही न, तो जब हम गांव वापस लौटेंगे और वर्षा होगी, तब इसकी जरूरत पड़ेगी। बालक की बात सुनकर सभी हंस पड़े, किंतु बुजुर्ग ने गंभीर होकर कहा- बात तो तूने बहुत ही पते की कही है। भगवान पर तेरा अटूट विश्वास है। यदि वर्षा हुई भी तो तेरी प

कण-कण में भगवान

रामकृष्ण परमहंस एक कहानी सुनाते थे। एक लड़का था। उसे उसके गुरु ने बताया कि 'भगवान हर जगह है। हर जीवित प्राणी में है।’ गोविंद ने गुरु के ज्ञान को शब्दश: स्वीकार कर लिया। उसने वादा किया कि वह हर जगह भगवान को देखेगा। एक बार वह गांव में भ्रमण कर रहा था। तभी हाथी पागल हो गया। उसके ऊपर बैठा महावत उसे नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। वह चिल्ला- चिल्लाकर उसकी राह में आने वाले लोगों को हटने के लिए कह रहा था। लेकिन गोविंद अभी भी अपने गुरु की बात याद आ रही थी- 'गुरु ने हमसे कहा है कि हर वस्तु भगवान है। हाथी भी भगवान है। मैं भी भगवान हूं। एक भगवान को दूसरे से क्यों डरना चाहिए?’ हाथी आया और उसने गोविंद को घायल कर दिया। बुरी तरह से घायल गोविंद को गुरु के आश्रम में लाया गया। गुरु ने पूछा- 'गोविंद! तुमने मूर्खतापूर्ण तरीके से काम क्यों किया?’ जब सब लोग दौड़ रहे थे तब तुमने दौड़कर अपना बचाव क्यों नहीं किया?’ गोविंद ने जवाब दिया- 'लेकिन गुरुजी! क्या आपने हमें नहीं सिखाया कि हर वस्तु में भगवान है? फिर भगवान से डरने की क्या जरूरत है?’ गु रु हंस दिए। उन्होंने जवाब दिया,

कार्य और बेगार

एक बूढ़ा कारपेंटर अपने काम के लिए काफी जाना जाता था , उसके बनाये लकड़ी के घर दूर -दूर तक प्रसिद्द थे . पर अब बूढा हो जाने के कारण उसने सोचा कि बाकी की ज़िन्दगी आराम से गुजारी जाए और वह अगले दिन सुबह-सुबह अपने मालिक के पास पहुंचा और बोला , ” ठेकेदार साहब , मैंने बरसों आपकी सेवा की है पर अब मैं बाकी का समय आराम से पूजा-पाठ में बिताना चाहता हूँ , कृपया मुझे काम छोड़ने की अनुमति दें . “ ठेकेदार कारपेंटर को बहुत मानता था , इसलिए उसे ये सुनकर थोडा दुःख हुआ पर वो कारपेंटर को निराश नहीं करना चाहता था , उसने कहा , ” आप यहाँ के सबसे अनुभवी व्यक्ति हैं , आपकी कमी यहाँ कोई नहीं पूरी कर पायेगा लेकिन मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि जाने से पहले एक आखिरी काम करते जाइये .” “जी , क्या काम करना है ?” , कारपेंटर ने पूछा . “मैं चाहता हूँ कि आप जाते -जाते हमारे लिए एक और लकड़ी का घर तैयार कर दीजिये .” , ठेकेदार घर बनाने के लिए ज़रूरी पैसे देते हुए बोला . कारपेंटर इस काम के लिए तैयार हो गया . उसने अगले दिन से ही घर बनाना शुरू कर दिया , पर ये जान कर कि ये उसका आखिरी काम है और इसके बाद उसे और कुछ नह

About me

मे मोतीलाल सुथार राजस्थान के जौधपुर जिले के ग्रामीण समाज का निवासी हु। मे वर्तमान मे 12 वी कक्षा मे कला सकांय का विद्यार्थी हु। मुझे इटरनेट चलाने व ब्लागिगं का विशेष शोक है और लोगो तक सामान्य ज्ञान का सग्रह ब्लाग द्वारा पहुचाने का प्रयास कर रहा हु