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Showing posts from August, 2014

Anger control क्रोध पर नियंत्रण

भूदान- यज्ञ के दिनों की बात है| विनोबाजी की पद-यात्रा उत्तर प्रदेश में चल रही थी| उनके साथ बहुत थोड़े लोग थे| मीराबहन के आश्रम 'पशुलोक' से हम हरिद्वार आ रहे थे| विनोबाजी की कमर और पैर में चोट लगी थी, उन्हें कुर्सी पर ले जाया जाता था, पर बीच-बीच में वे कुर्सी से उतरकर पैदल चलने लगते थे| एक दिन जब वे पैदल चल रहे थे तो एक भाई उनके पास आकर बोले - "बाबा मुझे गुस्सा बहुत आता है| कैसे दूर करूं?" विनोबाजी ने कहा - "बचपन में मुझे भी बहुत गुस्सा आता था| मैं अपने पास मिश्री रखता था जैसे ही गुस्सा आया कि मिश्री का एक टुकड़ा मुंह में डाल लिया| गुस्सा काबू में आ जाता था|" "लेकिन कभी- कभी ऐसा भी होता था कि गुस्सा आ जाता था और मिश्री पास में नहीं होती थी|" "तब आप क्या करते थे?" उन भाई ने उत्सुकता से पूछा| विनोबाजी ने कहा - "तब मैंने सोचा कि ऐसे समय क्या किया जाए| सोचते-सोचते एक बात ध्यान में आई| जब हमारे मन के प्रतिकूल कोई चीज आती है तो हम एकदम उत्तेजित होते हैं| यदि पहले क्षण को हम टाल जाएं तो गुस्से को सहज ही जीत सकते हैं

Akbar birbal ki story

एक दिन बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा.- बीरबल जरा बताओ तो उस दुनिया में किसकी संख्या अधिक है, जो देख सकते हैं या जो अंधे हैं बीरबल बोले इस समय तुरंत तो आपके इस सवाल का जबाब देना मेरे लिए संभव नहीं है लेकिन मेरा विश्वास है की अंधों की संख्या अधिक होगी बजाए देख सकने वालों की। बादशाह ने कहा- तुम्हें अपनी बात सिद्ध करके दिखानी होगी, बीरबल ने भी खुशी- खुशी बादशाह की चुनौती स्वीकार कर ली। अगले दिन बीरबल बीच बाजार में एक बिना बुनी हुई चारपाई लेकर बैठ गए और उसे बुनना शुरू कर दिया उसके अगल-बगल दो आदमी कागज-कलम लेकर बैठे हुए थे। थोडी ही देर मे वहां भीड़ इकट्ठी हो गई यह देखने के लिए कि यहां हो क्या रहा है। वहां मौजूद हर व्यक्ति ने बीरबल से एक ही सवाल पूछा- बीरबल तुम क्या कर रहे हो बीरबल के अगल- बगल बैठे दोनों आदमी ऐसा सवाल करने वालों का नाम पूछ-पूछ कर लिखते जा रहे थे, जब बादशाह के कानों तक यह बात पहुंची कि बीच बाजार बीरबल चारपाई बुन रहे हैं, तो वो भी वहां जा पहुंचे और वही सवाल किया. यह तुम क्या कर रहे हो..?? कोई जबाब दिए बिना बीरबल ने अपने बगल में बैठे एक आदमी से बादशाह

Story old man and woman

रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने वाले लड़के की नजरें अचानक एक बुजुर्ग दंपति पर पड़ी। उसने देखा कि वो बुजुर्ग पति अपनी पत्नी का हाथ पकड़कर उसे सहारा देते हुए चल रहा था । . थोड़ी दूर जाकर वो दंपति एक खाली जगह देखकर बैठ गए । कपड़ो के पहनावे से वो गरीब ही लग रहे थे । . तभी ट्रेन के आने के संकेत हुए और वो चाय वाला अपने काम में लग गया। शाम में जब वो चाय वाला वापिस स्टेशन पर आया तो देखाकि वो बुजुर्ग दंपति अभी भी उसी जगह बैठे हुए है । . वो उन्हें देखकर कुछ सोच में पड़ गया । देर रात तक जब चाय वाले ने उन बुजुर्ग दंपति को उसी जगह पर देखा तो वो उनके पास गया और उनसे पूछने लगा: बाबा आप सुबह से यहाँ क्या कर रहे है ? आपको जाना कहाँ है ? . बुजुर्ग पति ने अपना जेब से कागज का एक टुकड़ा निकालकर चाय वाले को दिया और कहा: बेटा हम दोनों में से किसी को पढ़ना नहीं आता,इस कागज में मेरे बड़े बेटे का पता लिखा हुआ है ।मेरे छोटे बेटे ने कहा था कि अगर भैया आपको लेने ना आ पाये तो किसी को भी ये पता बता देना, आपको सही जगह पहुँचा देगा । . चाय वाले ने उत्सुकतावश जब वो कागज खोला तो उसके

Veer durgadash

जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद बादशाह औरंगजेब जोधपुर को हड़पना चाहता था लेकिन जसवंत सिंह के मंत्री दुर्गादास राठौर ने औरंगजेब की कोई भी चाल कामयाब नहीं होने दी। जसवंत सिंह के पुत्र राजकुमार अजीत सिंह को जोधपुर की गद्दी पर बिठाने के लिए दुर्गादास ने मुगल सेना से डटकर युद्ध किया। दुर्गादास ने भी कभी हार नहीं मानी। युद्ध के दौरान वे घोड़े की पीठ पर बैठकर ही खाना खा लेते, उसकी पीठ पर बैठकर सो लेते और लगातार युद्ध करते रहते। अपनी सभी इच्छाएं और सुख उन्होंने जोधपुर की रक्षा की खातिर बलिदान कर दिए थे। उनके लिए देश और मानव धर्म ही सर्वोपरि था। एक बार युद्ध में औरंगजेब के पोता-पोती दुर्गादास के हाथ लग गए, लेकिन दुर्गादास ने उन्हें बड़े सम्मान के साथ अपने यहां रखा। कुछ समय बाद औरंगजेब ने संदेश भेजकर दोनों को वापस मांगा तो दुर्गादास ने शर्त रखी कि बादशाह जोधपुर के सिंहासन पर अजीत सिंह का अधिकार स्वीकार कर लें। बादशाह ने शर्त मान ली। जब औरंगजेब के पोता-पोती दिल्ली लौटे तो उसने उनसे कहा- "तुम लोग विधर्मी के घर रहकर आए हो, अत: कुरान का पाठ किया करो।"

क्या खुब लिखा है किसी ने ...

क्या खुब लिखा है किसी ने ... "बक्श देता है 'खुदा' उनको, ... ! जिनकी 'किस्मत' ख़राब होती है ... !! वो हरगिज नहीं 'बक्शे' जाते है, ... ! जिनकी 'नियत' खराब होती है... !!" न मेरा 'एक' होगा, न तेरा 'लाख' होगा, ... ! न 'तारिफ' तेरी होगी, न 'मजाक' मेरा होगा ... !! गुरुर न कर "शाह-ए-शरीर" का, ... ! मेरा भी 'खाक' होगा, तेरा भी 'खाक' होगा ... !! जिन्दगी भर 'ब्रांडेड-ब्रां डेड' करने वालों ... ! याद रखना 'कफ़न' का कोई ब्रांड नहीं होता ... !! कोई रो कर 'दिल बहलाता' है ... ! और कोई हँस कर 'दर्द' छुपाता है ... !! क्या करामात है 'कुदरत' की, ... ! 'ज़िंदा इंसान' पानी में डूब जाता है और 'मुर्दा' तैर के दिखाता है ... !! 'मौत' को देखा तो नहीं, पर शायद 'वो' बहुत "खूबसूरत" होगी, ... ! "कम्बख़त" जो भी 'उस' से मिलता है, "जीना छोड़ देता है" ... !! 'ग़ज़ब' की 'एकता'

Prerak kahaniya

बाप पतंग उड़ा रहा था बेटा ध्यान से देख रहा था थोड़ी देर बाद बेटा बोला पापा ये धागे की वजह से पतंग और ऊपर नहीं जा पा रही है इसे तोड़ दो बाप ने धागा तोड़ दिया पतंग थोडा सा और ऊपर गई और उसके बाद निचे आ गई तब बाप ने बेटे को समझाया बेटा जिंदगी में हम जिस उचाई पर है, हमें अक्सर लगता है , की कई चीजे हमें और ऊपर जाने से रोक रही है, जैसे घर, परिवार, अनुशासन, दोस्ती, और हम उनसे आजाद होना चाहते है, मगर यही चीज होती है जो हमें उस उचाई पर बना के रखती है. उन चीजो के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे मगर बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो पतंग का हुआ. इसलिए जिंदगी में कभी भी अनुशासन का, घर का , परिवार का, दोस्तों का, रिश्ता कभी मत तोड़ना

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Story एक घर के मुखिया को यह अभिमान हो गया कि उसके बिना उसके परिवार का काम नहीं चल सकता। उसकी छोटी सी दुकान थी। उससे जो income होती थी, उसी से उसके परिवार का गुजारा चलता था। चूंकि कमाने वाला वह अकेला ही था इसलिए उसे लगता था कि उसके बगैर कुछ नहीं हो सकता। वह logo के सामने डींग हांका करता था। एक दिन वह एक संत के सत्संग में पहुंचा। संत कह रहे थे, "duniya में किसी के बिना किसी का काम नहीं रुकता। यह अभिमान व्यर्थ है कि मेरे बिना परिवार या samaj ठहर जाएगा। सभी को अपने भाग्य के अनुसार प्राप्त होता है।" सत्संग समाप्त होने के बाद मुखिया ने संत से कहा, "मैं दिन भर कमाकर जो पैसे लाता हूं उसी से मेरे घर का खर्च चलता है। मेरे बिना तो मेरे pariwaar के लोग भूखे मर जाएंगे।" संत बोले, "यह तुम्हारा भ्रम है। हर कोई अपने भाग्य का खाता है।" इस पर मुखिया ने कहा, "आप इसे प्रमाणित करके दिखाइए।" संत ने कहा, "ठीक है। तुम बिना किसी को बताए घर से एक महीने के लिए गायब हो जाओ।" उसने ऐसा ही किया। संत ने यह बात फैला दी कि उसे बाघ ने

Sacha sukh

एक व्यक्ति के पास दोमंजिला मकान है। उसके घर के दायीं ओर एक पांच मंजिला मकान है और बायीं तरफ एक झोपड़ी। जब वह दायीं ओर देखता है तो अपने भाग्य को कोसते हुए दुखी होता है और जब बायीं ओर देखता है तो खुश होता है। देखा जाए तो उस व्यक्ति की खुशी या दुख केवल मस्तिष्क जनित है। हम में से बहुत से लोग मन ही मन हर इंदिय सुख को सुखी जीवन से जोड़ते हैं। कुछ विचारकों का मानना है कि सुख केवल इंद्रिय विषयक नहीं है यानी उपभोग की वस्तुओं में नहीं है। इसी तरह असुख या दुख भी हमारे मन की कल्पना मात्र है। लेखक जेम्स ऐलन इस बारे में एक स्थान पर लिखते हैं, 'ज्यादातर लोग यह मानते हैं कि वे तब और आनंद से रह पाते या खुद को सौभाग्यशाली मानते, अगर उनके पा फलां-फलां वस्तुएं होतीं। थोड़ी सी संपत्ति और होती या थोड़े से अवसर और मिलते तो ज्यादा सुखी होते। जबकि सच यह है कि जब हमारी आकांक्षाएं और ऐसे दिखाव बढ़ते हैं तो असंतोष ज्यादा बढ़ता है। यदि सुख और आनंद अपने अंदर नहीं मिल सकता तो यह कहीं और कभी नहीं मिल सकता।' लेखक के अनुसार बुद्धिमान व्यक्ति वही है जो हर स्थिति में दृढ़ रहता ह

Best Motivationa l Stories प्रेरणादायक प्रसंग

एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो. इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे. वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी. वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया क

Abraham linkan ke jute

अब्राहम लिंकन दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर सुबह ही सुबह अपने जूतों पर पालिश कर रहें थे उनका एक मित्र आया। एक राष्ट्रपति को अपने जूते पर पालिश करते देखा तो उसे लगा जैसे उसकी आंखें धोखा खा रही हैं। आखिर उस पर न रहा गया तो बोला- लिंकन! यह क्या करते हो। तुम्हें अपने जूतों पर स्वयं पालिश करनी पड़ती है। तो क्या तुम दूसरों के जूतों पर पालिश करते हो। कुछ देर के लिए कमरा कहकहों से गूँज उठा मित्र ने कहा- मैं तो जूतों पर पालिश स्वयं न करके दूसरों से करवा लेता हूँ। मेरी समझ में दूसरों के जूतों पर पालिश करने से भी यह बुरी बात है कि अपने जूतों पर किसी मनुष्य से पालिश करवाई जाये। इतने छोटे- छोटे कार्यों के लिये हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए। लिंकन की बात सुनकर मित्र के पास उत्तर के लिए अब शेष ही क्या रह गया था

Good story about honesty

एक भिखारी को बाज़ार में चमड़े का एक बटुआ पड़ा मिला. उसने बटुए को खोलकर देखा. बटुए में सोने की 100 अशर्फियाँ थीं. तभी भिखारी ने एक सौदागर को चिल्लाते हुए सुना – "मेरा चमड़े का बटुआ खो गया है! जो कोई उसे खोजकर मुझे सौंप देगा, मैं उसे enam दूंगा!" भिखारी बहुत emandar आदमी था. उसने बटुआ सौदागर को सौंपकर कहा –"ये रहा आपका बटुआ. क्या आप ईनाम देंगे?" "ईनाम!" – sodagar ने अपने सिक्के गिनते हुए हिकारत से कहा – "इस बटुए में तो दो सौ अशर्फियाँ थीं! तुमने आधी rakam चुरा ली और अब ईनाम मांगते हो! दफा हो जाओ वर्ना मैं सिपाहियों को बुला लूँगा!" इतनी ईमानदारी दिखाने के बाद भी व्यर्थ का दोषारोपण भिखारी से सहन नहीं हुआ. वह बोला – "मैंने कुछ नहीं चुराया है! मैं अदालत जाने के लिए तैयार हूँ!" अदालत में जज ने इत्मीनान से दोनों की बात सुनी और कहा – "मुझे तुम दोनों पर यकीन है. मैं इंसाफ करूँगा. सौदागर, तुम कहते हो कि तुम्हारे बटुए में दो सौ अशर्फियाँ थीं. लेकिन भिखारी को मिले बटुए में सिर्फ सौ अशर्फियाँ ही हैं. इ

HEART Touching Line

कोई टोपी तो कोई अपनी पगड़ी बेच देता है.. मिले अगर भाव अच्छा, जज भी कुर्सी बेच देता है, तवायफ फिर भी अच्छी, के वो सीमित है कोठे तक.. पुलिस वाला तो चौराहे पर वर्दी बेच देता है, जला दी जाती है ससुराल में अक्सर वही बेटी.. के जिस बेटी की खातिर बाप किडनी बेच देता है, कोई मासूम लड़की प्यार में कुर्बान है जिस पर.. बनाकर वीडियो उसका, वो प्रेमी बेच देता है, ये कलयुग है, कोई भी चीज़ नामुमकिन नहीं इसमें.. कली, फल फूल, पेड़ पौधे सब माली बेच देता है, किसी ने प्यार में दिल हारा तो क्यूँ हैरत है लोगों को.. युद्धिष्ठिर तो जुए में अपनी पत्नी बेच देता है...!!

Moral story hard work

एक धनी किसान था। उसे विरासत में खूब संपत्ति मिली थी। ज्यादा धन-संपदा ने उसे आलसी बना दिया। वह सारा दिन खाली बैठा हुक्का गुड़गुड़ाता रहता था। उसकी लापरवाही का नौकर-चाकर नाजायज फायदा उठाते थे। उसके सगे-संबंधी भी उसका माल साफ करने में लगे रहते थे। एक बार किसान का एक पुराना मित्र उससे मिलने आया। वह उसके घर की अराजकता देख दुखी हुआ। उसने किसान को समझाने की कोशिश की लेकिन उस पर कोई असर नहीं पड़ा। एक दिन उसने कहा कि वह उसे एक ऐसे महात्मा के पास ले जाएगा जो अमीर होने का तरीका बताते हैं। किसान के भीतर उत्सुकता जागी। वह महात्मा से मिलने को तैयार हो गया। महात्मा ने बताया- "हर रोज सूर्योदय से पहले एक हंस आता है जो किसी के देखने से पहले ही गायब हो जाता है। जो इस हंस को देख लेता है उसका धन निरंतर बढ़ता जाता है।" अगले दिन किसान सूर्योदय से पहले उठा और हंस को खोजने खलिहान में गया। उसने देखा कि उसका एक संबंधी बोरे में अनाज भरकर ले जा रहा है। किसान ने उसे पकड़ लिया। वह रिश्तेदार बेहद लज्जित हुआ और क्षमा मांगने लगा। तब वह गौशाला में पहुंचा। वहां उसका एक नौकर दूध चुरा रहा

Effect of Bnana

केले में पोटैशियम पाया जाता है, जो कि ब्लड प्रेशर के मरीज के लिए बहुत फायदेमंद है। केले का शेक पेट को ठंडक पहुंचाता है। केले में काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है। केला पाचन क्रिया को सुचारु करता है। अल्सर के मरीजों के लिए केले का सेवन फायदेमंद होता है। केले में आयरन भरपूर मात्रा में होता है, जिसके कारण खून में हीमोग्लोबिन की मात्रा बढ़ती है। तनाव कम करने में भी मददगार है केला। केले में ट्राइप्टोफान नामक एमिनो एसिड होता है जिससे मूड को रिलैक्स होता है। दिल के लिए – दिल के मरीजों के लिए केला बहुत फायदेमंद होता है। हर रोज दो केले को शहद में डालकर खाने से दिल मजबूत होता है और दिल की बीमारियां नहीं होती हैं। नकसीर के लिए – अगर नाक से खून निकलने की समस्या है तो केले को चीनी मिले दूध के साथ एक सप्ताह तक इस्तेमाल कीजिए। नकसीर का रोग समाप्त हो जाएगा। वजन बढ़ाने के लिए – वजन बढ़ाने के लिए केला बहुत मददगार होता है। हर रोज केले का शेक पीने से पतले लोग मोटे हो सकते हैं। इसलिए पतले लोगों को वजन बढाने के लिए केले का सेवन करना चाहिए। बच्चों के लिए – बच्चों के व

Inspirational stories

एक बहुत बड़ी संत थीं| उनका नाम था राबिया| वे सादगी से रहती थीं और हर घड़ी अल्लाह का नाम लेती रहती थीं| उनकी कुटिया में साधु- संतों की भीड़ लगी रहती थी| दूसरे लोग भी आते रहते थे| एक दिन एक संत आये और रात को राबिया की कुटिया में ही रुके| उसने देखा, राबिया ने अपने सोने के लिए एक बोरी बिछा ली और तकिए की जगह ईंट रख ली| फिर अल्लाह का नाम लेती हुई अपने उस बिस्तर पर आराम से लेट गईं| उस संत ने देखा तो चकित रह गए| इतने ऊंचे दर्जे की संत और इतना कठोर जीवन! उन्हें बड़ा दुख हुआ| उन्हें रात-भर नींद नहीं आई। पर राबिया तो लेटते ही गहरी नींद में सो गईं| सवेरे उठकर संत ने राबिया से कहा - "आप इतनी तकलीफ क्यों उठाती हैं? मेरे कई अमीर दोस्त हैं| मैं उनसे कहकर आपके लिए एक अच्छा- सा बिस्तर भिजवा दूंगा|" राबिया ने उस संत के स्नेह के लिए आभार माना, फिर बोलीं - "मेरे प्यारे भाई!! क्या मुझे, तुम्हें और अमीरों को देने वाला एक नहीं है?" संत ने कहा - "हां एक ही है|" राबिया बोलीं - "क्या वह हमें भूल गया है, और दौलतमंदों की उसे याद है? अगर उसे याद नहीं है तो

7 Habits जो बना सकतीं हैं आपको Super Successful

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आपकी ज़िन्दगी बस यूँ ही नहीं घट जाती. चाहे आप जानते हों या नहीं  ,  ये आपही के द्वारा डिजाईन की जाती है. आखिरकार आप ही अपने विकल्प चुनते हैं. आप खुशियाँ चुनते हैं . आप दुःख चुनते हैं.आप निश्चितता चुनते हैं. आप अपनी अनिश्चितता चुनते हैं.आप अपनी सफलता चुनते हैं. आप अपनी असफलता चुनते हैं.आप साहस चुनते हैं.आप डर चुनते हैं.इतना याद रखिये कि हर एक क्षण ,  हर एक परिस्थिति आपको एक नया विकल्प देती है.और ऐसे में आपके पास हमेशा ये  opportunity  होती है कि आप चीजों को अलग तेरीके से करें और अपने लिए और  positive result produce   करें. Habit 1 : Be Proactive /  प्रोएक्टिव बनिए Proactive   होने का मतलब है कि अपनी  life  के लिए खुद ज़िम्मेदार बनना. आप हर चीज केलिए अपने  parents   या   grandparents   को नही  blame  कर सकते .  Proactive   लोग इस बात को समझते हैं कि वो “ response-able”  हैं . वो अपने आचरण के लिए जेनेटिक्स  ,  परिस्थितियों ,  या परिवेष को दोष नहीं देते हैं.उन्हें पता होताहै कि वो अपना व्यवहार खुद चुनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ जो लोग reactive   होते हैं वो ज्यादातर अपने भौतिक वातावरण से प